सुप्रीम कोर्ट ने लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में गवाहों को धमकाने और प्रभावित करने के आरोपों पर गंभीरता से संज्ञान लिया है। 20 जनवरी 2025 को कोर्ट ने लखीमपुर खीरी के पुलिस अधीक्षक (SP) को इस मामले की जांच करने और रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया।
क्या है पूरा मामला?
लखीमपुर खीरी की यह घटना 3 अक्टूबर 2021 की है। आरोप है कि पूर्व केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा के काफिले की एक गाड़ी ने प्रदर्शन कर रहे किसानों को कुचल दिया था। इस हादसे में चार किसानों और एक पत्रकार की मौत हुई थी।
आशीष मिश्रा पर हत्या का आरोप है। गवाहों का दावा है कि उन्हें धमकाने और केस को प्रभावित करने की कोशिशें की जा रही हैं।
कोर्ट ने क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली बेंच ने इस मामले पर सुनवाई की। पीड़ितों के परिवारों की ओर से वकील प्रशांत भूषण ने कोर्ट से आशीष मिश्रा की जमानत रद्द करने की मांग की।
प्रशांत भूषण ने यह भी कहा कि मामले की जांच SP से ऊंचे रैंक के अधिकारी को सौंपी जानी चाहिए। हालांकि, कोर्ट ने SP को ही जांच करने का निर्देश दिया। साथ ही, जांच में पेश किए गए सबूतों की सत्यता और प्रामाणिकता की पुष्टि करने को कहा। SP को चार सप्ताह में अपनी रिपोर्ट पेश करनी होगी।
जमानत पर सवाल
सुप्रीम कोर्ट ने जनवरी 2023 में आशीष मिश्रा को अंतरिम जमानत दी थी। कोर्ट ने यह स्पष्ट किया था कि इस दौरान वह ट्रायल की प्रगति पर नजर रखेगा। 2024 में कोर्ट ने मिश्रा की जमानत को स्थायी कर दिया था और ट्रायल प्रक्रिया को तेज करने की जरूरत बताई थी।
गवाहों की सुरक्षा पर चिंता
प्रशांत भूषण ने कोर्ट में कहा कि आरोपी के प्रभाव के कारण गवाहों को धमकाया जा रहा है। इससे निष्पक्ष ट्रायल पर असर पड़ सकता है। हालांकि, कोर्ट ने मामले की रोजाना सुनवाई की मांग को खारिज कर दिया।
निष्पक्ष न्याय की उम्मीद
यह मामला न केवल गवाहों की सुरक्षा बल्कि न्याय प्रक्रिया पर जनता के विश्वास का भी सवाल उठाता है। अब सबकी नजरें SP की रिपोर्ट पर हैं, जो तय करेगी कि मामले में आगे क्या कदम उठाए जाएंगे।
निष्कर्ष:
लखीमपुर खीरी हत्याकांड का यह मामला न्याय व्यवस्था के लिए एक बड़ा परीक्षण है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश से उम्मीद है कि पीड़ित परिवारों को न्याय मिलेगा और गवाहों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाएगी।