लखीमपुर खीरी। जिले में खाद के लिए मारा-मारी कम नहीं हो रही। घंटों लाइन, दिनभर इंतजार और एक-एक बोरी यूरिया, यही हाल हर दिन है। समितियों पर स्टॉक लगभग 500–600 बोरी का आ रहा है, लेकिन दोपहर तक सब खत्म हो जाता है,पहले सुबह 5 बजे, किसानों की कतार लग जाती है, लेकिन दोपहर तक स्टॉक खत्म होने से कई किसान वापस लौट जाते हैं।घंटों लाइन में लगने के बाद भी किसानों को मात्र एक ही बोरी यूरिया मिल पा रही हैं, जबकि किसानों को इससे कहीं अधिक खाद की जरूरत है।
ताज़ा स्थिति,सिर्फ एक बोरी, घंटों लाइन
मिली जानकारी के अनुसार 9 जुलाई 2025 को, मझगईं, खमरिया, बरबर, अछनिया, मितौली आदि समितियों पर भारी भीड़ लगी हुई थी। लेकिन घंटों इंतजार के बाद भी, प्रत्येक किसान को केवल एक बोरी यूरिया ही दी जा रही है, जबकि वास्तविक ज़रूरत उससे कहीं अधिक है।
स्टॉक सीमित है,हर समिति पर लगभग 500–600 बोरी, जो दो दिनों में ख़त्म हो जाती हैं, और फिर फिर से किल्लत शुरू हो जाती है,आधार-आधारित टोकन, ई‑पॉश मशीन, ऑनलाइन सिस्टम और मशीन खत्म होना जैसी तकनीकी और प्रशासनिक बाधाओं के कारण किसानों को लगातार परेशानी झेलनी पड़ रही है।
तनाव की स्थिति
भीड़ बढ़ने और मारामारी की घटनाएँ आम हैं। कई समितियों में पुलिस तैनात करनी पड़ रही है ताकि स्थिति को नियंत्रित किया जा सके,मझगईं और अछनिया समिति जैसी जगहों पर किसान बेसहारों की तरह लाइन में खड़े हैं, पुलिस हस्तक्षेप कर रही है, और कई बार धक्का-मुक्की बढ़ जाने पर स्थानीय हंगामे की स्थिति बन रही है।
प्रशासन की प्रतिक्रिया & स्टॉक सप्लाई
2 जुलाई 2025 को 2,640 मीट्रिक टन यूरिया की एक रैक गोला में पहुंची, जिस बारे में CDO अभिषेक कुमार ने उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक कर सुनिश्चित किया कि कम स्टॉक वाले केंद्रों में प्राथमिकता से आपूर्ति हो।
इसके पहले, 26 जून 2025 को फिर से 1,138.5 मीट्रिक टन यूरिया मिली थी, जो 47 समितियों में बांटी गई। इसके साथ ही कई समितियों पर किसानों में धक्कामुक्की और झगड़े की घटनाएँ हुईं, जिनमें पुलिस बुलाई गई ताकि स्थिति को नियंत्रित किया जा सके।
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