जब अन्नदाता की उम्मीदों पर बरसीं लाठियां, खाद संकट ने पकड़ा तूल

लखीमपुर खीरी, 17 जुलाई 2025: उत्तर प्रदेश का लखीमपुर खीरी जिला, जो अपनी कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था के लिए जाना जाता है, आज एक बार फिर सुर्खियों में है। लेकिन इस बार वजह कोई फसल की बंपर पैदावार नहीं, बल्कि अन्नदाताओं पर हुआ कथित पुलिसिया अत्याचार है। जिले के फरधान थाना क्षेत्र से आज ऐसी तस्वीरें सामने आईं, जिन्होंने हर किसी को झकझोर कर रख दिया। खाद के लिए सुबह से लंबी कतारों में अपनी बारी का इंतजार कर रहे किसानों पर पुलिस का कहर टूट पड़ा, जिसके बाद गुस्साए किसानों ने मोहम्मदी हाईवे को जाम कर दिया।

यह घटना सिर्फ कानून-व्यवस्था का सवाल नहीं है, बल्कि यह उस गहरे संकट की ओर भी इशारा करती है जिससे किसान जूझ रहा है। आइए, इस पूरे मामले की तह तक चलते हैं और जानते हैं कि आखिर ऐसा क्या हुआ कि अन्नदाता को सड़क पर उतरने और लाठियां खाने पर मजबूर होना पड़ा।

क्या है पूरा मामला? फरधान में क्यों हुआ बवाल?

मामला फरधान थाना क्षेत्र स्थित एक खाद वितरण केंद्र का है। धान की रोपाई का सीजन होने के कारण किसानों को यूरिया और अन्य उर्वरकों की सख्त जरूरत है। पिछले कई दिनों से किसान खाद के लिए सरकारी और निजी केंद्रों के चक्कर काट रहे थे, लेकिन उन्हें निराशा ही हाथ लग रही थी।

आज सुबह, सैकड़ों की संख्या में किसान इस उम्मीद में वितरण केंद्र पर इकट्ठा हुए कि शायद उन्हें खाद मिल जाएगी। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार:

  • सुबह से लंबी कतारें: किसान सुबह 4-5 बजे से ही लाइनों में लग गए थे, ताकि समय पर खाद मिल सके।
  • अव्यवस्था और धक्का-मुक्की: घंटों इंतजार के बाद भी जब खाद वितरण शुरू नहीं हुआ और कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला, तो किसानों का सब्र टूटने लगा। अव्यवस्था के कारण हल्की धक्का-मुक्की भी शुरू हो गई।
  • पुलिस का बल प्रयोग: स्थिति को नियंत्रित करने के बजाय, मौके पर मौजूद पुलिसकर्मियों ने कथित तौर पर किसानों पर लाठीचार्ज कर दिया। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो में पुलिसकर्मी किसानों, यहाँ तक कि एक महिला पर भी लाठियां भांजते नजर आ रहे हैं।

इस घटना ने आग में घी का काम किया और किसानों का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया।

हाईवे पर प्रदर्शन और प्रशासन की प्रतिक्रिया

पुलिसिया कार्रवाई से नाराज सैकड़ों किसानों ने एकजुट होकर पास में ही स्थित मोहम्मदी हाईवे पर जाम लगा दिया। किसानों का कहना था कि जब तक दोषी पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई नहीं होती और खाद की उचित व्यवस्था नहीं की जाती, वे हाईवे से नहीं हटेंगे।

  • यातायात बाधित: हाईवे जाम होने से दोनों तरफ वाहनों की लंबी कतारें लग गईं, जिससे आम यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा।
  • प्रशासन में हड़कंप: किसानों के उग्र प्रदर्शन की खबर मिलते ही जिला प्रशासन में हड़कंप मच गया। जिलाधिकारी (DM) और पुलिस अधीक्षक (SP) सहित वरिष्ठ अधिकारी मौके पर पहुंचे।
  • जांच के आदेश: मामले की गंभीरता को देखते हुए जिलाधिकारी ने तत्काल प्रभाव से जांच के आदेश दिए हैं। वहीं, लखनऊ से कृषि मंत्री ने भी इस घटना का संज्ञान लेते हुए जिले में खाद की उपलब्धता और पूरे मामले की विस्तृत रिपोर्ट तलब की है।

खाद की किल्लत: एक गहराता संकट

यह घटना सिर्फ एक दिन के गुस्से का परिणाम नहीं है। लखीमपुर खीरी समेत उत्तर प्रदेश के कई जिलों में किसान इस समय यूरिया और DAP खाद की भारी किल्लत से जूझ रहे हैं। किसानों का आरोप है कि खाद की कृत्रिम कमी पैदा कर कालाबाजारी की जा रही है, जिससे उन्हें औने-पौने दामों पर खाद खरीदने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।

किसानों की मुख्य मांगें:

  1. दोषी पुलिसकर्मियों पर तत्काल कार्रवाई हो।
  2. जिले में खाद की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित की जाए।
  3. खाद की कालाबाजारी पर रोक लगाई जाए।
  4. घायल किसानों को मुआवजा दिया जाए।

राजनीतिक प्रतिक्रिया और भविष्य की दिशा

इस घटना पर राजनीतिक बयानबाजी भी शुरू हो गई है। विपक्षी दलों ने सरकार पर किसान विरोधी होने का आरोप लगाते हुए इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाने की बात कही है। यह मामला अब सिर्फ लखीमपुर तक सीमित न रहकर पूरे प्रदेश में एक बड़ा मुद्दा बन सकता है।

फिलहाल, प्रशासनिक अधिकारी किसानों को समझाने और जाम खुलवाने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन सवाल जस का तस है – आखिर अन्नदाता को अपनी जरूरत की चीजों के लिए भी लाठियां क्यों खानी पड़ रही हैं? इस घटना ने एक बार फिर कृषि व्यवस्था की खामियों और किसानों की दयनीय स्थिति को उजागर कर दिया है।

संगीता एक सीनियर कंटेंट राइटर हैं। उन्हें 5 साल का अनुभव है। वह टेक्नोलॉजी, ब्लॉगिंग, ऑनलाइन पैसा कमाने और लेटेस्ट न्यूज़ खबरों पर लेख लिखने पसंद हैं।

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