Lakhimpur Kheri News: जोखिमभरा पेशा बनता जा रहा है
उत्तर प्रदेश में निष्पक्ष पत्रकारिता करने वाले पत्रकारों के लिए चुनौतियां बढ़ती जा रही हैं। हाल के वर्षों में पत्रकारों पर हमले और झूठे मुकदमों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। पत्रकारों को डराने-धमकाने से लेकर, उन पर शारीरिक हमले और फर्जी केस दर्ज कराना आम बात हो गई है।
लखीमपुर खीरी में पत्रकार पर जानलेवा हमला
हाल ही में लखीमपुर खीरी के तिकुनिया कोतवाली क्षेत्र में एक पत्रकार पर हमला हुआ। यह घटना उस समय घटी जब वह अपने मित्र के घर पर बैठे थे। गांव के दबंगों ने गाली-गलौच करते हुए उन पर हमला किया और जातिसूचक अपशब्द कहे। हालांकि, घटनास्थल पर मौजूद एक जागरूक व्यक्ति ने इस मारपीट का वीडियो अपने मोबाइल में कैद कर लिया। पीड़ित पत्रकार ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई और आरोपियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की है।
पत्रकारों पर बढ़ते फर्जी मुकदमे
पत्रकारों के खिलाफ झूठे आरोप लगाकर मुकदमे दर्ज करना एक नई प्रवृत्ति बन गई है। कई पत्रकारों को उनकी रिपोर्टिंग के कारण निशाना बनाया जाता है। ऐसे मामलों में, भ्रष्टाचार और अपराध को उजागर करने वाले पत्रकारों को ही कानून का दुरुपयोग कर फंसाया जाता है। यह स्थिति स्वतंत्र पत्रकारिता के लिए खतरा पैदा करती है।
सरकार और प्रशासन की भूमिका पर सवाल
इन घटनाओं के बीच, सरकार और प्रशासन की निष्क्रियता पर भी सवाल उठ रहे हैं। जिम्मेदार अधिकारी पत्रकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में विफल नजर आते हैं। जब पत्रकारों पर हमले होते हैं, तो अक्सर पुलिस मामूली धाराओं में केस दर्ज कर इतिश्री कर लेती है। ऐसे में अपराधियों का मनोबल और बढ़ जाता है।
लोकतंत्र का चौथा स्तंभ खतरे में
स्वतंत्र और निष्पक्ष पत्रकारिता लोकतंत्र की नींव होती है। अगर पत्रकार खुद को असुरक्षित महसूस करेंगे, तो समाज के लिए जरूरी सच्चाई उजागर करना मुश्किल हो जाएगा। यह स्थिति न केवल लोकतंत्र को कमजोर करती है, बल्कि समाज में अन्याय और भ्रष्टाचार को बढ़ावा देती है।
पत्रकारों की सुरक्षा के लिए आवश्यक कदम
पत्रकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए निम्नलिखित कदम उठाए जाने चाहिए:
- पत्रकारों पर हमला करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो।
- फर्जी मुकदमों की प्रवृत्ति पर रोक लगाई जाए।
- पत्रकारों की सुरक्षा के लिए विशेष कानून बनाए जाएं।
- प्रशासन और पुलिस को निष्पक्षता से अपना काम करने की जिम्मेदारी दी जाए।
समाज की भूमिका
पत्रकारों की सुरक्षा और स्वतंत्रता सुनिश्चित करना केवल सरकार का ही नहीं, बल्कि समाज का भी कर्तव्य है। यदि हम सभी पत्रकारों के अधिकारों और स्वतंत्रता की रक्षा के लिए आवाज उठाएं, तो यह लोकतंत्र को मजबूत करने में सहायक होगा।