सावन के पवित्र महीने के दूसरे सोमवार को लखीमपुर खीरी स्थित गोला‑गोकर्णनाथ मंदिर (जिसे ‘छोटी काशी’ भी कहा जाता है) में हजारों की संख्या में शिवभक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा। तड़के सुबह से ही श्रद्धालु शिवलिंग पर जलाभिषेक के लिए मंदिर में कतारबद्ध हो गए। पूरे क्षेत्र में “बम-बम भोले” के जयकारों की गूंज रही। हरिद्वार और कछला से कांवड़ लेकर आए श्रद्धालु भी शिवभक्ति में लीन दिखाई दिए।
भीड़ के दबाव में टूटी मंदिर की रेलिंग, व्यवस्था चरमराई
श्रद्धालुओं की भारी भीड़ के कारण मंदिर परिसर में लगी लोहे की रेलिंग भी टूट गई। यह रेलिंग मुख्य मार्ग को नियंत्रित करने के लिए लगाई गई थी, लेकिन भीड़ के दबाव को नहीं झेल सकी। घटना के दौरान कोई बड़ा हादसा नहीं हुआ, लेकिन व्यवस्था चरमराती दिखी।
मंदिर के आसपास के क्षेत्रों में चप्पलें-जूतों का अंबार लग गया और अफरा-तफरी का माहौल बन गया। प्रशासन ने स्कूल बंद करवाए और रास्तों को रोका, लेकिन भीड़ नियंत्रण में पूरी तरह सफल नहीं रहा।
कांवड़ यात्रा और जलाभिषेक के लिए उमड़ा आस्था का समुंदर
हरिद्वार और कछला जैसे स्थानों से आए हजारों कांवड़ियों ने गोला गोकर्णनाथ पहुंचकर भोलेनाथ का जलाभिषेक किया। भक्तों की लंबी कतारें मंदिर के मुख्य द्वार से लेकर बाहर तक दिखाई दीं। जगह-जगह भंडारे और कीर्तन मंडलियां भी लगी रहीं।साथ ही मंदिर में जलाभिषेक के लिए दोपहर 12 बजे के बाद तक कांवड़ियों की लम्बी कतार देखने को मिली।
कछला और हरिद्वार से गंगाजल लेकर आए कांवड़ियों ने भगवान भोलेनाथ का जलाभिषेक किया। इसके साथ ही लखीमपुर शहर के प्रमुख प्राचीन मंदिरों, भुईफोरवनाथ और जंगली नाथ मंदिर में भी सुबह से ही श्रद्धालुओं का लम्बी कतारें देखने को मिली। भुईफोरवनाथ मंदिर में महिला और पुरुष श्रद्धालुओं के लिए अलग-अलग लाइनें बनाई गई, जिससे व्यवस्था सुचारू रही।