लखीमपुर खीरी में मंगलवार सुबह एक दर्दनाक और भयावह घटना सामने आई। खेत की रखवाली करने गये एक किसान पर अचानक भटके हुए हाथी ने हमला कर दिया। किसान हाथी के प्रचंड हमले से बच नहीं सका और मौके पर ही उसकी मौत हो गई।
हमले में किसान का शव बुरी तरह क्षत-विक्षत
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार हाथी ने किसान को बुरी तरह कुचल दिया, जिससे उसका शव क्षत-विक्षत हो गया। एक आंख बाहर निकल गई थी। यह दृश्य देखकर गांव वालों की रूह कांप उठी।मंगलवार तड़के करीब चार बजे उसका शव गन्ने के खेत में मिला। इस घटना से परिजनों और ग्रामीणों में आक्रोश फैल गया। उन्होंने मुआवजे और सरकारी नौकरी की मांग करते हुए शव को नहीं उठने दिया।
लखीमपुर खीरी के मझगईं क्षेत्र के चौखड़ा फार्म में खेत की रखवाली करने के दौरान मजदूर रामबहादुर (55) को जंगली हाथियों ने पटक-पटककर मार दिया। कुचलने से उनकी एक आंख भी बाहर आ गई। माना जा रहा है कि हाथियों का यह झुंड दुधवा नेशलन पार्क से निकलकर बाहर आया। इसी वजह से वन विभाग के खिलाफ गुस्साए ग्रामीणों ने दोपहर तक शव नहीं उठने दिया। बाद में मृतक के पुत्र को सरकारी नौकरी व पांच लाख का मुआवजा दिलाने के आश्वासन पर परिजन माने।
वन विभाग और पुलिस टीम मौके पर पहुंची
सोमवार रात करीब 10 बजे आए इन हाथियों ने पहले कस्बा निवासी समीर पांडे के खेत में उत्पात मचाया। इस पर भगवंतनगर गुलरा निवासी रामबहादुर ने कुछ दूरी पर स्थित दूसरा खेत बचा रहे मझगईं निवासी लालता व सुशील को बुलाकर पटाखे दागकर गन्ने के खेत से हाथियों को भगाने की कोशिश शुरू की। इसी बीच हाथियों ने उनपर हमला बोल दिया।
लालता व सुशील तो भाग गए, लेकिन एक हाथी रामबहादुर का पैर पकड़कर उनको गन्ने के खेत में काफी दूर तक खींचकर ले गया। वहां हाथियों ने पटक-पटक कर रामबहादुर को मार दिया। इससे भी उनका गुस्सा कम नहीं हुआ तो रामबहादुर के सिर को पैरों से रौंद दिया, जिससे उनकी बाईं आंख निकलकर बाहर आ गई। सूचना मिलते ही रात में ही ग्रामीणों ने रामबहादुर की तलाश शुरू कर दी, लेकिन रात भर कुछ पता नहीं चल सका
बेटियों के साथ बिलखती पत्नी को देख नम हुईं आंखें
पति की मौत की खबर सुनते ही मृतक रामबहादुर की पत्नी श्रीमती पर मानो दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। बेटियों के साथ दहाड़े मारकर पति के शव के पास बिलखती श्रीमती को देखकर वहां मौजूद हर ग्रामीण की आंखें नम हो गईं। पत्नी की इस हालत को देख कर रामबहादुर के बारे में ही चर्चा करते दिखे।
रामबहादुर काफी गरीब होने के कारण करीब 40 साल से खेत की रखवाली करने की नौकरी कर रहा था। इस समय उसको छह हजार रुपये की पगार महीने में मिल रही थी। मृतक के पास मात्र दो बीघा जमीन थी और चार बेटियों व दो पुत्रों का वह पालनकर्ता था। चार बेटियों के साथ एक पुत्र की शादी कर चुका था। बहादुर को अभी एक पुत्र की शादी भी करनी थी, जिससे रात दिन ठंड की भी परवाह न जंगल किनारे जान जोखिम में डालकर मजदूरी करने का कार्य करता था।
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